Tuesday, August 21, 2012

नैतिक शिक्षा से दूर होंगी समाज की कमियां

अन्ना हजारे और योगगुरु बाबा रामदेव देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए बधाई के पात्र हैं | उनके आंदोलनों का ही असर है कि लंबे समय बाद भ्रष्टाचार देश का मुख्य विषय बना और सड़क से संसद तक करोड़ों भारतवासियों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की | इन आंदोलनों की क्या परिणिति हुई और इनके क्या परिणाम होंगे ये समय के गर्त में है, बौद्धिक वर्ग इस पर माथापच्ची करने में लगा हुआ है | लेकिन इस बीच पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब ने एक महत्वपूर्ण बात कही जिसपर पूरे देश को विचार करने की जरुरत है | पिछले दिनों एक छोटी सी घटना ने कलाम साहब की बात याद दिला दी |
 
कलाम साहब ने बड़ी बेबाकी से कहा कि--
"लोकपाल कानून से सिर्फ जेलें भरेंगी, करप्शन खत्म नहीं होगा। भ्रष्टाचार के खात्मे की शुरुआत सिर्फ घर से हो सकती है तथा बच्चे और नौजवान इसकी शुरुआत करके देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कर सकते हैं।" 
तमाम हो-हल्ला के बीच इस तात्विक बयान को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की गई और अधिक महत्व नहीं दिया गया लेकिन वास्तव में हमें इस पर विचार करके अमल करना होगा | किसी विधेयक या कानून से भ्रष्टाचार पर आंशिक लगाम तो लगाया जा सकता है लेकिन वो उसका जड़मूल से नाश नहीं कर सकता और ये भी एक कड़ी सच्चाई है कि भ्रष्टाचार हमारे खून में प्रवेश