Saturday, November 27, 2010

शहर

जावेद अख्तर साहब का एक शानदार शेर पेश है ---
 ""ये नया शहर तो खूब बसाया तुमने, क्यों पुराना शहर हुआ वीरान जरा देख तो लो !""



निदा फाजली साहब ने क्या खूब लिखा है ---
  "" नक्शा उठा के और कोई शहर देखिये, इस शहर में तो सबसे मुलाकात हो गई !""