मेरी डायरी
हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग, रो रो के बात कहने की आदत नहीं रही।
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इरोम चानू शर्मीला
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भगत सिंह
मौलिक कर्त्तव्य
Saturday, November 27, 2010
शहर
जावेद अख्तर साहब का एक शानदार शेर पेश है ---
""ये नया शहर तो खूब बसाया तुमने, क्यों पुराना शहर हुआ वीरान जरा देख तो लो !""
निदा फाजली साहब ने क्या खूब लिखा है ---
"" नक्शा उठा के और कोई शहर देखिये, इस शहर में तो सबसे मुलाकात हो गई !""
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