इरोम तुम्हारे जज़्बे को सलाम
जेल की सेल में तब्दील कर दिए गए मणिपुर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल का वह कमरा दुनिया भर के पत्रकारों, नागरिक अधिकारों के पैरोकारों और एक्टिविस्ट के आकर्षण का एक केंद्र था लेकिन अब वहां का माहौल काफी बदला-बदला सा है. यह कमरा सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफस्पा) को समाप्त करने को लेकर पिछले 16 वर्षों से अनशन पर बैठी 44 वर्षीय इरोम चानू शर्मीला का लगभग स्थायी निवास बन चुका था. उनके नाक में लगी नली और उनके खुले बाल शांतिपूर्वक सतत संघर्ष का एक प्रतीक बन चुके थे.
मणिपुर की राजधानी इंफाल से 15-16 किलोमीटर दूर मालोम में एक बस स्टैंड पर 02 नवंबर, 2000 को असम राइफल्स के जवानों द्वारा 10 लोगों की कथित हत्या की गई थी. इस घटना से अत्यंत व्यथित होकर इरोम तब उसी बस स्टैंड के पास जाकर अनशन पर बैठ गई थीं. उनकी मांग थी कि अफस्पा को मणिपुर से समाप्त किया जाये जो सशस्त्र बलों को असीमित अधिकार देता है